meenal

meenal

संगीत मेरे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग हैं। आजके इस व्यस्त जीवन में संगीत ही हैं जो रोजमर्रा के तनाव व परेशानियों को दूर् करने में मदद करता हैं।

शुरू से ही न्रुत्य व संगीत के प्रति मेरी रूचि रही हैं। मेरी इसी रुचि को प्रोत्साहन दिया मेरे परिवार ने जहां सभी को संगीत के प्रति लगाव था, संगीत की समझ के साथ साथ उसके लिये आदर भी था। काफ़ी कम उम्र में मेरी कत्थक न्रुत्य शिक्षा प्रारंभ हुई और इसी के साथ शुरू हुआ आदरणीय श्री धर्माधिकारी सर और ग्रेसिम संगीत महाविद्यालय के साथ मेरा अटुट रिश्ता ।

धर्माधिकारी सर से मिली शिक्षा सिर्फ़ न्रुत्य शिक्षा तक ही सीमीत न थी। मैं पुरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि वहां मिली शिक्षा का मेरे और सभी साथीयों के व्यक्तित्व विकास में बहुत बडा योगदान हैं। गुरु शिष्य परंपरा और उससे जुडी बारीकियां हमें वहां सीखने को मिली। हर महिने के अंत में होने वाले कार्यक्रमों ने आत्मविश्वास बढाने में मदद की, और stage-fear को दूर किया। सर के कडे अनुशासन, मेहनत और आशीर्वाद से मैंने और् मेरी सभी सहेलियों ने न्रुत्य शिक्षा सफ़लतापूर्वक पूर्ण की। आज भी याद हैं वो दिन जब विद् अंतिम वर्ष के परिणाम घोषित हुए थे और सर ने बडे गर्व और आनंद के साथ मुझे बताया था कि मैंने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया हैं। उस दिन सर और मेरे घर के सभी सदस्यों के आंखों दिखने वाले आनंद के भावों ने उस दिन को एक अविस्मरणीय याद बना दिया हैं।

औपचारिक रुप से मेरी न्रुत्य शिक्षा तो समाप्त हुई पर न्रुत्य से संबंध नही। पेशे से मैं एक Software Engineer हूं पर आज भी मैं कत्थक न्रुत्य से जुडी हूं। पिछले छ: वर्षों से मैं San Diego, California मैं हूं और इन वर्षों में मेरा यही प्रयत्न रहा हैं कि न्रुत्य अभ्यास व साधना जारी रहें। मैं यहां Solo व Group Performance देती हूं और मेरा सौभाग्य था कि एक वर्ष मुझे मेरे Group के साथ International Dance Festival में भारत को represent करने का मौका मिला। इन उपलब्धियों का श्रेय मैं ग्रेसिम संगीत महाविद्यालय और सर को देना चाहूंगी। आज यहां के भारतीय समाज में मेरी कलाकार के नाम से भी एक अलग पहचान हैं। मैं बडे गर्व के साथ सभी को बताती हूं कि मैं नागदा से हूं और श्री सुरेश धर्माधिकारी से मैंने न्रुत्य शिक्षा प्राप्त की हैं।

मेरा सपना हैं कि अपने गुरूजी की ही तरह मैं यहां एक कत्थक न्रुत्य शाला शुरू करू। बस चाहिये आप सभी की शुभकामनायें व आदरणीय धर्माधिकारी सर का आशीर्वाद।